'मेरी समझ' की अगली कड़ी में आज की लेखिका हैं आदरणीया अपर्णा गुप्ता जी। आज उनकी लघुकथा 'आई लव यू' पर अपनी समझ रख रहा हूँ, कुछ इस प्रकार:
लेखिका - अपर्णा गुप्ता
लघुकथा - आई लव यू
आजकल के फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि के जमाने में जहाँ सार्वजनिक रूप से प्यार का इजहार करना और जताना जितना आसान है वहीं आज के कई दसक पहले ये इतना आसान नहीं था। संयुक्त परिवार, उनके अपने कायदे कानून और तथाकथित तहजीब के नाम पर अक्सर लोग पति-पत्नी एक-दूसरे की तारीफ करना, शब्दों में प्यार जताना जैसे भूल ही जाते थे और समय के साथ ये उनकी आदत में आ जाता था।
प्रस्तुत लघुकथा में अपर्णा जी ने इसी बात को कहने की कोशिश की है। पता नहीं लोगों ने प्यार को उम्र के पड़ावों से क्यों जोड़ रखा है। शायद इस मनोभाव के पीछे शारीरिक सुंदरता ही प्रमुख कारण रही होगी जबकि प्यार का एहसास तो अंदर की बात है जो उम्र के किसी पड़ाव पर कम नहीं होता।
आजकल की देखा देखी बुजुर्गों में कहीं न कहीं टीस तो उठती ही है कि उनके जीवन साथी ने खुलकर कभी उनकी तारीफ में कसीदे नहीं पढ़े और इसी कारण जब वे एकदूसरे को सजते संवरते देखते हैं तो एक-दूसरे को उलाहने देने लगते हैं।
इसी दिखावी उलाहनेवाजी और वास्तविक प्यार को फेसबुक के सहारे सार्वजनिक करती हुई है यह लघुकथा 'आई लव यू'। इस सुंदर कथा के जरिये लेखिका ने यह भी बताने की कोशिश की है कि भले ही आप एक दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं लेकिन उसका समय-समय पर इजहार करना भी जरूरी है, फिर चाहे उम्र कोई भी हो। इससे निश्चित ही दाम्पत्य जीवन में जीवंतता का प्रवाह बना रहता है।
उपर्युक्त लघुकथा के लिए अपर्णा गुप्ता जी को बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
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